पिछले 70 सालों में हमारे देश में हर किस्म की बाधाएं, अड़चनें और संकट आए, पर बावजूद इसके हमारा देश साल दर साल मज़बूती, परिपक्वता और एकता की नई नई इबारत गढ़ता गया। क्योंकि चुनौतियां किसी भी प्रकार की हों भारत का संविधान भारत के अंतिम व्यक्ति तक शक्ती प्रदान करता है। पूरे मुल्क को बांध कर रखता है। ये सुनिश्चित करता है की किसी भी व्यक्ती के साथ भेद भाव ना हो। असमाजिक तत्व हावी ना हो सकें। कोई भी इंसान क़ानून हाथ में ना ले सके। इन सबके लिए हमारे संविधान ने बकायदा लोकतंत्र के स्तंभ के तौर पर कार्यपालिका, स्वतंत्र न्यायपालिक और विधायिका का बंदोबस्त किया है। जो संविधान को ध्यान में रखते हुए देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को लगातार मजबूत करने में जुटे रहते हैं। 26 नवंबर 1949 को देश के संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया था। नागरिकता, निर्वाचन और अंतरिम संसद से संबंधित प्रावधानों के साथ ही अस्थायी और संक्रमणकारी उपबंधों को इसी दिन से लागू किया गया। जबकि 26 जनवरी 1950 को यह पूरी तरीके से लागू हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का एलान किया था। आज विशेष के इस अंक में बात करने जा रहे हैं संविधान की विशेषता, इसमें निहित मौलिक कर्तव्यों के बारे में, साथ ही बात करेंगे संविधान की आधारभूत संरचना और इसके बनने की कहानी के बारे में...
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